आप प्रवक्ता वंशराज दुबे ने कहा बिजली का निजीकरण कर रोजगार सृजन के बजाय लोगों को बेरोजगार कर रही है योगी सरकार
यूपी में महंगी होती बिजली दर प्रदेश के आम आदमी के लिए एक गंभीर संकट
निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बिजली का निजीकरण कर रही है योगी सरकार
*दिल्ली सरकार की तर्ज पर मिले यूपी की जनता को बिजली : वंशराज दुबे*
लखनऊ
10 दिसम्बर, 2024
आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे ने राज्य सरकार के बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि इस कदम से न केवल 50 हजार संविदा कर्मियों की नौकरियां जा रही हैं, बल्कि इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा।
श्री दुबे ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ राज्य सरकार जनता को सरकारी विभागों में कोई नई भर्ती नहीं दे रही है, दूसरी तरफ जो संविदा कर्मी पहले से ही काम कर रहे हैं, उनकी नौकरी भी छीन ली जा रही है। 50 हजार कर्मियों के बेरोजगार होने से उनके परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा। यह सरकार की नाकामी का एक उदाहरण है, जो रोजगार सृजन के बजाय लोगों को बेरोजगार कर रही है।”
उन्होंने कहा, “यह सरकार जनता की भलाई की जगह निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की सोच रही है। पहले से ही महंगी होती बिजली दरों का और बढ़ना प्रदेश के आम आदमी के लिए एक गंभीर संकट होगा।”
उन्होंने आगे कहा , “बिजली का निजीकरण राज्य की जनता के लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ बनेगा। निजी कंपनियां बिजली की दरों को बढ़ा सकती हैं, जिससे आम आदमी को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा। पहले से ही महंगी बिजली की दरें और बढ़ने से गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों की परेशानियां और बढ़ जाएंगी।”
उन्होंने आगे कहा, “एक तरफ दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जनता को मुफ्त बिजली दे रही है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार अपने ही लोगों को महंगी बिजली और बेरोजगारी की ओर धकेल रही है। दिल्ली में बिजली की दरें कम करने और मुफ्त बिजली देने के द्वारा आम आदमी पार्टी ने साबित किया है कि कैसे एक जिम्मेदार सरकार अपने नागरिकों की भलाई के लिए काम करती है। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार जनता के हितों को नजरअंदाज कर रही है।”
श्री दुबे ने सरकार से मांग की, “सरकार को बिजली के निजीकरण के फैसले को वापस लेना चाहिए और प्रदेश के 50 हजार संविदा कर्मियों की नौकरी को बचाना चाहिए। सरकार का यह कदम न केवल बेरोजगारी बढ़ाएगा बल्कि प्रदेश के लोगों को भी आर्थिक संकट में डाल देगा।”
सुफियान वारिस की रिपोर्ट